Add To collaction

माँ गंगा - लेखनी प्रतियोगिता -09-Jun-2022


माँ गंगे, माँ भागीरथी 
तू है महान, तू है महान।

तेरे जल में करता जो स्नान 
मिलता शुचिता का वरदान 
वेदों ने भी किया गुणगान 
मन पवित्र हो, कर तेरा पान।

मन्दाकिनी, भागीरथी, गंगा
रूप है एक पर नाम अनेक 
श्रद्धा से आए तेरी शरण में 
मिटते पाप मिलते चारों धाम।

माते बहाकर अपनी निर्मल धारा 
बिन भेद सुर-असुर सबको तारा 
भगीरथ की सुनी जब तूने पीर 
किया प्रवाहित प्रेमिल अमृत नीर।

तुझे देव पुकारे या हो कोई दानव 
तूने सबको अपना पुत्र ही माना 
सम्पूर्ण जगत के पाप मिटाकर
जीवन नैया को पार लगा डाला।

आह! मानव तू क्यों बना स्वार्थी 
पापनाशिनी को आहत कर डाला 
डालकर गंदगी और कचरा उसमें 
निर्मल रुप को मलिन बना डाला।

जाग जाओ अब निर्मम मनुष्यों 
बंद करना होगा माँ का अपमान
समझो अपना-अपना कर्त्तव्य 
दिलाओ माँ को उसका सम्मान।

माँ गंगे, माँ भागीरथी 
तू है महान तू है महान।

स्वरचित व मौलिक रचना
डॉ. अर्पिता अग्रवाल 
नोएडा, उत्तरप्रदेश

   23
9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 05:13 PM

बेहतरीन रचना👌👌

Reply

Sona shayari

10-Jun-2022 02:20 PM

Nice

Reply

Swati chourasia

10-Jun-2022 06:29 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

Reply